Alaskapox virus कितना खतरनाक हो सकता है इंसानों के लिए ?

ग्लेशियर से निकला एक वायरस (Alaskapox virus) जो एक इंसान की मौत का कारण बन गया। तो आप शायद यकीन ना करें लेकिन यह सच है पहली बार ग्लेशियर परमा फ्रॉस्ट पिघलने से निकला एक वायरस जिसने चपेट में ले लिया एक इंसान को उसकी मौत हो चुकी है ग्लेशिया परमा फॉस्ट किसे कहते हैं और इस खतरनाक वायरस के बारे में जानेंगे।

समझिए कि परमा फ्रॉस्ट किसे कहते हैं ?
बर्फ की बड़ी-बड़ी चट्टानें उनको कहा जाता है। जो कई सालों से अंदर दबी होती है और टेंपरेचर कम होने की वजह से सालों तक जमी रहती है इसकी खास बात यह है कि इसके भीतर कुछ जीव भी सरवाइव कर सकते हैं। सालों तक यह घटना अलास्का की है।

कहा से आया ये वायरस ?
यह वायरस (Alaskapox virus) अलास्का फर ब्रांस नॉर्थ स्टार बोरो परमा फॉस्ट के पिघलने से बाहर आया था पहली बार यह वहीं खोजा गया था इसलिए इसका नाम अलास्का पॉक्स रखा गया जिस इंसान की मौत हुई वह केनिया प्रया द्वीप में इस वायरस से संक्रमित हुआ था उसे इस अलास्का पॉक्स वायरस से संक्रमण का पता जनवरी के आखिरी में चला यह वायरस एक डबल स्टैंडर्ड डीएनए वायरस है यह उसी जीनस से संबंध रखता है। जिससे स्मॉल पॉक्स मंकी पॉक्स और काउ पॉक्स रखते हैं इसलिए इसका नाम अलास्का पॉक्स रखा गया।

किसमे पहले ये वायर पाया गया?
यह बीमारी छोटे मैमल्स में भी खोजी गई है। पॉक्स मतलब दाने शरीर पर जो दाने दिखते हैं यह वैसे लक्षणों वाला वायरस है इस वायरस के संक्रमण के बाद त्वचा पर लाल धब्बे दिखने शुरू हो जाते हैं दाने निकलते हैं सही समय पर इलाज ना हो तो यह घाव का रूप ले लेते हैं इसमें पस बनने लगता है। जोड़ों मांसपेशियों में दर्द भी शुरू हो जाता है सही समय पर इलाज मिलने के बाद यह करीब पांच से छ महीने ठीक होने में लगाता है।

इंसानों मे केसे फेलता है ये वायरस ?
इंसानों में यह छोटे स्तनधारी जीवों के जरिए फैलता है। लेकिन अभी तक ये ये क्लियर नहीं है कि किस तरह से इंसान इनसे संक्रमित होते हैं इसमें भी बाकी वायरस की तरह इम्युनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है।

जिसकी अलास्का पॉक्स से मौत हुई वो व्यक्ति जंगलों में अकेले रहता था वह बाहर भी कहीं घूमने नहीं गया ऐसी आशंका जताई जा रही है। कि यह वायरस उसे उसकी पालतू बिल्ली से मिले होंगे क्योंकि वो बिल्ली जंगल में छोटे स्तनधारी जीवों को शिकार करती थी अगर बिल्ली ने उसे खरोच होगा तो वह संक्रमित हो गया होगा कुछ दिन पहले तिब्बत की ग्लेशियर में भी ऐसे ही कुछ खतरनाक वायरस मिले थे तिब्बत में पिघलते ग्लेशियर से 15000 साल पहले पुराने वायरस मिले थे।

यह वायरस (Alaskapox virus) भारत चीन और म्यानमार जैसे देशों के लिए खतरा हो सकता है इस प्राचीन वायरस के संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। पूरी दुनिया में परमा फ्रॉस्ट पिघल रहे हैं। ग्लेशियर और परमा फ्रॉस्ट के पिघलने से 40000 साल पुराने विशालकाय भेड़िए और 75 लाख साल पुराने बैक्टीरिया के निकलने का पता चला है। यह इससे पहले कभी नहीं देखे गए यानी इनके संक्रमण का कोई इलाज नहीं हो सकता है।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट ने कहा है कि इन वायरस ने काफी ठंडे तापमान में अपनी जिंदगी बिताई है। यह अब किसी भी तरह के तापमान या मौसम को झेल सकते हैं। यानी इनके फैलने में किसी तरह की कोई बाधा नहीं होती ना ही इनका कोई इलाज होता है।

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